
मध्यप्रदेश इन दिनों एक अनोखे संक्रमण काल से गुजर रहा है – जहाँ अपराधी पुलिस की वर्दी पहनकर घूम रहे हैं और ‘ऑनलाइन दक्षिणा, ऑफलाइन वसूली’ का नया ट्रेंड शुरू हो गया है। इंदौर इसका सबसे ताज़ा उदाहरण बन गया है, जहाँ एक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ज्योतिषाचार्य मोहितानंद महाराज की जिंदगी क्राइम थ्रिलर बन गई है।
20 लाख की दक्षिणा या झूठी कहानी?
कहानी कुछ यूं शुरू होती है – मोहितानंद महाराज के खाते में Shadow Company से 20 लाख रुपए ऑनलाइन आते हैं। महाराज जी का कहना है – “ये दक्षिणा थी, भक्तों की श्रद्धा थी।”
लेकिन दिल्ली से आए एक सज्जन, संदीप मलेठिया, बोले – “भूलवश आ गया, ये शेयर मार्केट का पैसा है, लौटा दो।”
बस फिर क्या था, एक कॉल आया और इंदौर में शुरू हो गया ‘Operation वसूली’।
क्राइम ब्रांच की एक्टिंग में असली क्राइम!
संदीप जी न केवल खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हैं, बल्कि पुलिस के साथ मिलकर महाराज जी के घर घुसते हैं, मोबाइल, चेक बुक ज़ब्त करते हैं, और फिर ले जाते हैं एसीपी के पास। वहां ‘प्रेशर कुकर डिप्लोमेसी’ से महाराज जी से जबरन ₹6.85 लाख की RTGS करवाई जाती है, ब्लैंक चेक लिया जाता है और कार भी हड़प ली जाती है।
और फिर पुलिस बोलती है – “दोनों पक्षों में आपसी समझौता हो गया है।”
What a plot twist!
पुलिस क्या कर रही थी? वसूली या न्याय?
खजराना एसीपी कुंदन मंडलोई कहते हैं –“20 लाख का ट्रांसफर संदिग्ध था, हम सिर्फ मदद कर रहे थे।”
मगर सवाल ये उठता है – पुलिस क्या अब ‘थर्ड पार्टी कलेक्शन एजेंसी’ बन चुकी है?
क्योंकि FIR नहीं हुई, सोर्स की जांच नहीं हुई, न ही किसी कोर्ट में मामला गया।
मोहितानंद महाराज का पलटवार: “धोखा हुआ है, समझौता नहीं”
महाराज का दावा है कि ये समझौता नहीं, दबाव था।
“मेरे दस्तखत जबरन करवाए गए। मोबाइल छीने गए। अब मेरी जान को भी खतरा है।”
और महाराज जी ने एक और भविष्यवाणी कर दी – “यदि न्याय न मिला, तो मैं मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्महत्या करूंगा।”
अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दोहरी भूमिका में फंस चुके हैं –
- इंदौर के प्रभारी मंत्री
- प्रदेश के गृह मंत्री
अब देखें सरकार अपनी कुर्सी बचाती है या एक संत की ज़िंदगी?
मोहन सरकार की चुप्पी: “हिंदुत्व” बनाम “हिंदू संत”
डॉ. मोहन यादव की सरकार हिंदुत्व का झंडा तो खूब लहराती है, लेकिन जब बारी आई एक हिंदू संत की सुरक्षा और न्याय की, तो पूरा सिस्टम मौन व्रत में चला गया।
इतने आवेदन, इतनी शिकायतें, मुख्यमंत्री से लेकर निज सचिव तक पहुंचने के बाद भी नतीजा – Zero।
आखिर कौन है वो “ऊँची पहुँच वाला” जो वर्दीधारी आरोपियों को बचा रहा है?
क्या वर्दी अब सुरक्षा नहीं, डर का प्रतीक है?
इस केस ने ये साबित कर दिया है कि वर्दीधारी अपराधी, फर्जी अफसर, और पुलिस की चुप्पी मिलकर आज के समय का नया संगठित अपराध तंत्र बन चुके हैं।
ज्योतिषाचार्य मोहितानंद महाराज जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, जिनके पीछे हजारों भक्त हैं, यदि वो भी न्याय के लिए दर-दर भटकते दिखें, तो आम आदमी का भरोसा किस पर रहेगा?
“जय श्रीराम!” बोलीं CSP हिना खान — पब्लिक बोली, अब पुलिस भी ट्रेंडिंग में!


